अपराध क्या है?
हम सब जानते हैं कि सब समाज के विरुद्ध किया गया कोई भी गलत कारय अपराध है | आमतौर पर अपराध उस गलत कार्य को कहते हैं जिसे कानून के अंतर्गत दंडनीय घोषित किया गया है | उदाहरण के तौर पर जब कोई व्यक्ति किसी की साइकिल चुराता है तो कहा जाएगा कि उसने चोरी की है ,इसी तरह जब कोई व्यक्ति सड़क पर मोटरसाइकिल चलाते समय दूसरे की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखता है और परिणाम स्वरूप कोई दुर्घटना घट जाती है तो वह मोटरसाइकिल सवार उस गलती के लिए उत्तरदाई माना जाएगा और कानून के तहत ऐसी गलती भी दण्डनीय नहीं है |
अपराधी को दी गई सजा ही अपराध से पीड़ित व्यक्ति के लिए राहत है या राहत पीड़ित को पहुंची चोट या हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में भी दी जाती है| भारतीय दंड संहिता में दंड का प्रावधान विभिन्न अपराध की प्रकृति और स्वभाव के अनुरूप किया गया है | जिसमें व्यक्ति विशेष और जमीन जायदाद के मामलों से संबंधित अपराध भी शामिल है, भारतीय दंड संहिता में कुछ विशेष अधिनियमओं का उल्लेख भी किया गया है| जिसमें खास तरह के अपराधों के लिए दंड का प्रावधान है | न्यायालय में अभियुक्त को सजा देने की कार्यवाही शिकायत या चालान के आधार पर की जाती है | मामले की जांच पड़ताल करने के बाद पुलिस न्यायालय में चालान दाखिल करती है, अपराधिक मामलों में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट f.i.r. दाखिल होने के साथ ही पुलिस द्वारा जांच पड़ताल का काम शुरू हो जाता है, व्यक्तिगत शिकायत के मामलों में अभियुक्त के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व संबंधित मजिस्ट्रेट जांच पड़ताल करता है |पारीक सूचना रिपोर्ट या शिकायत दर्ज करवाने जांच पड़ताल और मुकदमे चलाने के संबंध में एक संपूर्ण प्रक्रिया संहिता 1973 के नाम से जानी जाती है|
जहां पुलिस मामला दर्ज करने या पार्श्विक सूचना रिपोर्ट लिख कर जांच पड़ताल शुरू कर दी है उनमें ‘स्टेट -केस’ के तौर पर मुकदमा चलता है | पर जिन मामलों में पुलिस मामला दर्ज करनी आप आत्मिक सूचना रिपोर्ट लिखने से मना कर देती है| वहां पीड़ित व्यक्ति न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है ,और ऐसे मामले शिकायत थी मामले बन जाते हैं |
पुलिस द्वारा जांच पड़ताल शुरू करने से पहले उस अपराध या वारदात के विषय में पूरी जानकारी होनी चाहिए पुलिस को अपराध की सूचना या जानकारी देने का क्या तरीका है ,जिसके अनुसार आप पुलिस को किसी वारदात घटनाएं अपराध के बारे में सूचित कर सकते हैं अपराध संगीन या साधारण हो सकता है|
अपराध के प्रकार
संगीत (संज्ञेय) अपराध
संगीन अपराध के मामले में पुलिस बिना वारंट के अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकती है |उदाहरण के तौर पर यदि आप किसी व्यक्ति पर किसी खतरनाक हथियार या औजार {जो भारतीय दंड संहिता के अनुच्छेद -324 के अंतर्गत दंडनीय है} से वार करके उसे घायल कर देते हैं ,तो यह संगीन अपराध कहलाता है | ऐसे मामलों में चाहे तो पुलिस बिना वारंट के अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकती है, पर गिरफ्तारी के लिए पुलिस को कानून के दायरे में रहकर कार्यवाही करनी होगी|
साधारण (असंज्ञेय) अपराध
साधारण अपराध के मामले में पुलिस आपको बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है उदाहरण के तौर पर यदि आप जानबूझकर किसी को साधारण चोटिया कष्ट देते हैं जिसे भारतीय दंड संहिता के अनुच्छेद -323 के अंतर्गत दंडनीय घोषित किया गया है तो यह साधारण अपराध की श्रेणी में आएगा ऐसे मामलों में पुलिस आपको अदालत की आज्ञा के बिना गिरफ्तार नहीं कर सकती है|
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