जब आप बताओ और मुलजिम किसी विचाराधीन अपराधिक मामले में न्यायालय में हाजिर होते हैं-
जवाब बतौर मुलजिम सामान्य जमानती वारंट पर ही सुनवाई की 1 तारीख पर न्यायालय में हाजिर होते हैं तो सबसे पहले आपको अपने लिए जमानत का आवेदन दाखिल करना चाहिए|
1. जमानती अपराधों के मामले मैं कानून के तहत मुलजिम अधिकार स्वरों अपने ने जमानत की मांग कर सकता है , ऐसे मामलों में आपको जमानत के लिए आवेदन देने की आवश्यकता नहीं होती |बल्कि केवल बेल बांड संख्या -45 भर कर न्यायालय में पेश करना होता है|
यदि एक बार अभियुक्त पहलवान की शर्तों का पालन नहीं करता है ,यानी बेल बांड में लिखिए समय और स्थान पर हाजिर नहीं होता है ,तो अगली बार न्यायालय उसकी जमानत याचिका को खारिज कर सकता है |ऐसी स्थिति में अभियुक्त जमानत योग्य अपराध में अधिकार स्वरूप जमानत का हकदार नहीं होता है|
जमानती अपराध के मामले में यदि कोई अभियुक्त गिरफ्तारी के 1 सप्ताह के भीतर किसी व्यक्ति को अपने जमानत के तौर पर पेश करने में सफल रहता है तो पुलिस और न्यायालय उसे जमानत पेश नहीं कर सकने वाला गरीब व्यक्ति मान लेता है |न्यायालय ऐसी किसी भी व्यक्ति को उसकी जिम्मेदारी पर यानी अपना ही बांड भरने पर जमानत दे सकता दे देता है ,ऐसी हालत में उसे किसी जमानती की जरूरत नहीं होती है |
2. गैर जमानती अपराध के मामलों में अभियुक्त को अपनी जमानत के लिए न्यायालय के सम्मुख आवेदन दाखिल करना आवश्यक होता है |इसके बाद या न्यायालय पर निर्भर है कि आप को जमानत दी जाएगी या नहीं यदि आप जानना चाहते हैं कि कौन सा अपराध जमानती है |और कौन सा गैर जमानती तो इसका विस्तार पूर्वक विवरण दंड प्रक्रिया संहिता कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर मैं दिया गया है|
यदि कोई अपराध विशेष नियमों तथा अधिनियम के अंतर्गत आता है तो जमानत के लिए उस अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के अनुसार दरखास्त दी जाती है|
किन परिस्थितियों में न्यायालय जमानत देने से इनकार कर सकता है?
यदि न्यायालय को लगता है कि अभियुक्त द्वारा अपराध किए जाने के पुख्ता सबूत मौजूद है ,और उसके द्वारा किए गए अपराध की सजा फांसी या उम्रकैद है तो वह युक्त को जमानत पर रिहा करने से मना कर सकता है|
महिलाओं तथा बच्चों के मामले में जमानत
यदि किसी 16 साल से कम उम्र के बच्चे या महिला या बीमारी अत्यंत दुर्बल व्यक्ति को किसी गैर जमानती अपराध के मामले में हिरासत में लिया गया है, अथवा उसे संदेह के आधार पर ही सा हिरासत में लिया गया है ,तो न्यायालय उसकी जमानत का आदेश दे सकता है |यदि न्यायालय इस बात से संतुष्ट है कि ऐसे किसी व्यक्ति को जिसकी उम्र 16 साल से कम है युवा महिला बीमार व्यक्ति है किन्हीं विशेष कारणों से जमानत देना उचित है तो वह उसे जमानत दे सकता है|
अग्रिम जमानत
क्या करें जब पुलिस जांच या अदालती कार्यवाही के दौरान आपको अपनी गिरफ्तारी की आशंका है?
किसी गैर जमानती अपराध के मामले में यदि आपको पुलिस जांच या अदालती कार्यवाही के दौरान अपनी गिरफ्तारी की आशंका है, तो आप गिरफ्तारी से पहले अपने लिए जमानत का आवेदन कर सकते हैं| इसे अग्रिम जमानत कहा जाता है ,अग्रिम जमानत की याचिका सेशन जज या उच्च न्यायालय में पेश की जाती है| जब भी किसी मामले में अग्रिम जमानत स्वीकृति हो जाती है ,तो थाना प्रभारी एसओ को गिरफ्तार करने और दूसरा पुलिस अधिकारी अभियुक्त आवेदन कर्ता को गिरफ्तारी के समय न्यायालय के आदेश में लिखी हुई जमानत की शर्तो के आधार पर जमानत पर रिहा करना होता है|
क्या करें जब दहेज उत्पीड़न के मामले में आपको यह किसी संबंधी को गिरफ़्तारी की आशंका हो?
यदि आपकी पत्नी ,पुत्रवधू, सालि,भाभी ने आप के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और मारपीट का मामला दर्ज कराया है| और आप को आशंका है कि पुलिस उस मामले में आप को गिरफ्तार कर सकती है, तो आपने आने में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं |अग्रिम जमानत की सुनवाई करते समय सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय सरकारी वकील के माध्यम से पीड़ित पक्ष और पुलिस की बात सुनकर ही कोई फैसला सुनाता है, न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत देने के बाद थाना प्रभारी एस एच ओ या गिरफ्तार करने आया कोई दूसरा पुलिस अधिकारी आपको न्यायालय के आदेशानुसार जमानत नामी की शर्तों के आधार पर जमानत पर रिहा कर देता है |
बेल बांड यानी जमानत नामा
बेल बांड यानी जमानत नाम एक तरह की आश्वासन है ,कि जब भी आपको पुलिस या न्यायालय के समक्ष पेश होने या किसी अन्य व्यक्ति को पेश करने के लिए कहा जाएगा| तो आप उस आदेश का पालन करते हुए निर्धारित समय और स्थान पर उपस्थित होंगे अवांछित व्यक्ति को पेश करेंगे आपके अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी आश्वासन गारंटी देनी होती है| कि वह तारीख और समय पर आपको संबंधित पुलिस अधिकारी न्यायालय के समक्ष पेश करेगा इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि जब भी आप आत्मसमर्पण के लिए पुलिस स्टेशन या नाले में जा रहे हैं ,तो आपको अपनी जमानत के लिए बैल बॉन्ड दाखिल करना है ,तो किसी व्यक्ति को अपने जमानती के तौर पर अवश्य साथ लेकर जाएं बैल के नमूने न्यायालय परिसर में विक्रेताओं के पास उपलब्ध रहते हैं |यदि सफल हो जाए तो जांचकर्ता पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर सकता है, यदि आपको कानून की शर्तों का उल्लंघन है या बिना किसी कारणवश नहीं होने से मना कर देते हैं तो आपको जुर्माने की पूरी राशि का भुगतान करना होता है |जुर्माने की राशि जमा नहीं होती है राज्य के खाते जमा की जाती है |न्यायालय में पेश नहीं होने की स्थिति में आप को न्यायालय में पेश नहीं कर पाने का जिम्मेदार हो जाता है| और उसे भी जुर्माने की राशि का भुगतान करना पड़ सकता है|
बेल बांड दाखिल करते समय में महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए
जब भी किसी अभियुक्त द्वारा जमानत पर रिहाई के लिए न्यायालय के सम्मुख नियमित रूप से तय तारीख पर पेश होने की गारंटी के तौर पर भी एलबम दाखिल किया जाता है| तथा किसी जमानती को बतौर आश्वासन पेश किया जाता है तो न्यायालय सबसे पहले इस बात पर गौर करता है कि जो व्यक्ति अभियुक्त की जमानत दे रहा है ,उसका अभियुक्त पर कितना नियंत्रण है |तथा क्या व न्यायालय के निर्देशानुसार अभियुक्त को सुनवाई की तारीख में न्यायालय में पेश कर पाएगा अथवा नहीं |इसके अतिरिक्त न्यायालय या भी देखता है कि जमानती की आर्थिक स्थिति जमानत जमानत के लायक है, अथवा नहीं इसलिए जब भी आपको अपनी जमानत के लिए किसी जमाने को न्यायालय में पेश करना हो तो हमेशा ध्यान रखें कि उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए |तथा न्यायालय को तारीख के दिन और समय पर आपके लिए संतुष्ट करने वाला होना चाहिए|
अभियुक्त को जमानत देते समय जमानत इको न्यायालय के सामने अपनी पहचान निवास रोजगार वेतन या मजबूत आर्थिक स्थिति दर्शाने वाले दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं| इन दस्तावेजों में जमानत का फोटोग्राफ राशन कार्ड पहचान पत्र मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड मासिक वेतन ,की रसीद रोजगार दाता द्वारा दिया गया स्थाई जमा राशि की रसीद बैंक द्वारा दी गई अस्थाई जमा राशि यानी फिक्स डिपोजिट जीवन बीमा संबंधित कागजात इत्यादि शामिल है| न्यायालय परिसर में विक्रेताओं के पास उपलब्ध रहते हैं या अज्ञात व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें क्योंकि आपके लिए किसी बड़ी मुसीबत का कारण बन सकता है|
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