किसी अपराध के लिए दो तरह से सजा दी जा सकती है अपराधी पर या तो जुर्माना लगाया जा सकता है उसे कैद की सजा दी जा सकती है याद भी दो तरह की होती है -साधारण और कठोर कुछ अपराधों के लिए कानून में न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है, इस तरह अभियुक्त को कानून द्वारा यह सुविधा दी गई है ,कि वह अपने को किसी दुर्ग के लिए दोषी ठहराए जाने के लिए याचना करते हुए मोलभाव कर सकता है न्यायपालिका की तकनीकी भाषा में से प्ली बारगेनिंग कहा जाता है|
हाल ही में अपराध प्रक्रिया संहिता यानी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर में एक संशोधन किया गया है ,जिसके तहत या अध्याय जोड़ा गया है ,यह नए प्रावधान अभियुक्त द्वारा उस पर लगाए गए अब लोगों को लेकर की जाने वाली प्ली बारगेनिंग के संबंध में है|
हाल ही में अपराध प्रक्रिया संहिता यानी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर में एक संशोधन किया गया है ,जिसके तहत या अध्याय जोड़ा गया है ,यह नए प्रावधान अभियुक्त द्वारा उस पर लगाए गए अब लोगों को लेकर की जाने वाली प्ली बारगेनिंग के संबंध में है|
अभियुक्त को मामले की सुनवाई करने वाले न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल करना होता है| प्रार्थना पत्र के साथ अभियुक्त को अपना एक शपथ पत्र यानी एफिडेविट भी देना होता है |जिस पर स्पष्ट लिखा जाना होता है कि अभियुक्त उसके द्वारा किए गए अपराध के लिए और उसके निर्धारित सजा को जानते समझते हुए अपनी मर्जी से प्ले बारगेनिंग की दरखास्त दे रहा है |
अपराधिक मामलों में समझौता
कानून के तहत कुछ खास तरह के अपराधों में आप से समझौता हुआ सहमति के आधार पर मामले को समाप्त करने की अनुमति दी गई है, इस संबंध में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा- 320 महत्वपूर्ण है’ कुछ अपराधिक मामले में समझौता करने से पहले न्यायालय की मंजूरी आवश्यक है| जबकि कुछ में बिना न्यायालय की अनुमति के भी समझौता किया जा सकता है |
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