लावारिश मिला था बालक 8 महिने में पुलिस नहीं तलाश पाई परिजन।
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मम्मी की आस में दिनभर गेट पर खड़ा रहता हैं 3 साल का किशना
तीन साल का मासूम किशना श्रीगंगानगर के किशोर गृह में रहता है। यहाँ का कैची गेट उसकी सीमा है। इस गेट के पार होने वाले हर आहट पर उसकी नजर रहती है। हर आने-जाने वाले को वह एकटक देखता रहता है। जैसे ही कोई गुजरता है , उसे लगता है कि मुझे लेने मम्मी-पापा आ गए। इसी आस में वो दिन भर गेट पर खड़ा रहता हैं। लेकिन आठ महीने से जारी इंतज़ार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है अपने बारे में वह बस इतना ही जानता है कि मेरा नाम किशना है। शहर की देवनगर कौलोनी में सड़क पर 26 मार्च की सुबह वह लावारिश मिला था। मानव तस्करी रोधी युनिट और चाइल्ड लाईन टीम ने कई दिनों तक तलाश कि कोई मिल जाए जो इसे पहचानता हो। लेकिन जब कोई फायदा नहीं हुआ तो तलाश बंद कर उसे बाल कल्याण समिति के आदेश से राजकीय किशोर गृह को सौंप दिया। किशना हर सुबह उठते ही पूछता है मम्मी कहां हैं? बहाने सुन - सुनकर वह रो पड़ता है। किशोर गृह के गार्ड उसके लिए कभी-कभी घोड़ा बनते है तो कभी-कभी पुचकारते हैं।जैसे तैसे बहलाकर खाना खिलाते है। गेट पर खड़े खड़े जब वह थक जाता है तो कमरे में जाकर दुबक जाता है। रात को दिलासे के साथ कहानियाँ सुनाकर उसे सुलाया जाता हैं कि जब वह सोकर उठेगि तब उसकी माँ उसे लेने आ जाएगी।
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