आजके इस पोस्ट में हमलोगों बात करेगें मानवीय हाई कोर्ट और माननीय सुप्रीम कोर्ट के एक लेटेस्ट ऐतिहासिक फैसला के बारे में। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा किसी भी प्रकार का प्रॉपर्टी पर 12 वर्ष तक कब्जा रखने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी का मालिक हो जाएगा यानी टाइटल धारी हो जाएगा। मालिकाना हक मिलने के बाद कब्जाधारी के नाम से लगान रशीद भी निर्गत होने लगेगा। इसके बाद यदी कब्जाधारी चाहे तो उस प्रॉपर्टी को बेच भी सकता हैं। आपको बता दे कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बारीकी से समझना बहुत जरूरी है कि किस स्थिति में कब्जाधारी मालिक होगा और किस स्थिति में नहीं। ( यह भी पढें:- आने जाने का रास्ता रोकने पर कानून व सज़ा)
Poona Ram VS Moti Ram
पूना राम राजस्थान का बाड़मेर का निवासी था, उसने सन् 1966 में एक जमीनदार से कुछ जमीन खरीदा था। वह जमीन अलग-अलग जगह पर था और कई टुकड़ों में विभाजित था। जब पूना राम ने जमीनदार को पुरा पैसा देकर जमीन अपने नाम से रजिस्ट्री करा लिया तब उन्हें क्षात हूआ कि उक्त जमीन पर मोती राम नामक व्यक्ति अवैध कब्जा कर रखा है। जब पूना राम ने मोती राम को उस जमीन को खाली करने के लिए कहा गया तो मोती राम ने खाली नहीं किया और यह सफाई देते हुए टाल दिया कि उक्त जमीन पर उसका 12 वर्ष से कब्जा हैं और अब यह जमीन मेरा हैं। इसके बाद पूना राम ने ट्रायल कोर्ट में कब्जाधारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया। मुकदमा में काफी सारा गवाह का परीक्षण किया गया काफ़ी सारा दलील दोनों तरफ से पेश किया गया। सभी दलील को देखने के बाद ट्रायल कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाया, और मोती राम को अविलंब कब्जा खाली करने का हुक्म दिया। मोती राम ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दिया। अंत में माननीय हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हूए मोती राम के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद पूना राम ने हाईकोर्ट के फ़ैसला को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाया। मोती राम ने यहाँ पर दलील दिया कि उक्त प्रॉपर्टी पर मेरा 12 वर्ष से अधिक समय से कब्जा हैं जिसके कारण अब जमीन मेरा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मोती राम के दलील को खारिज करते हुए पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाया। क्योंकि यहाँ पर मोती राम ने उस प्रॉपर्टी पर 12 साल से अधिक समय से कब्जा तो किया हुआ था लेकिन यह कब्जा अवैध कब्जा था। यदी मोती राम का उक्त जमीन पर प्रतिकूल कब्जा रहता तो यह फैसला मोती राम के पक्ष में होता। ( यह भी पढ़े:- जमीन का रजिस्ट्री कैसे रद्द कराए)
प्रतिकूल कब्जा क्या है
यदी कोई प्रॉपर्टी पर कब्जाधारी बिना रोक टोक के रहता है तो इसे प्रतिकूल कब्जा कहा जाता है। यहाँ पर कब्जाधारी जो प्रॉपर्टी पर कब्जा किया हुआ है उस प्रॉपर्टी के मालिक को भी इस कब्जा के बारे में पता होना चाहिए कि उसका प्रॉपर्टी पर किसी ने कब्जा कर लिया है। यदी कब्जा का सूचना प्रॉपर्टी का मालिक को नहीं है तो ऐसे परिस्थिति में यह कब्जा प्रतिकूल कब्जा नहीं कहलाएगा।यदी कब्जाधारी किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा किया हुआ है और उस प्रॉपर्टी के मालिक को यह क्षात है कि उसका प्रॉपर्टी पर कब्जा हैं और प्रॉपर्टी मालिक उस कब्जा को खाली कराने के लिए प्रशासन से शिकायत करता हैं तो ऐसे परिस्थिति में भी यह प्रतिकूल कब्जा नहीं कहलाएगा। यदी प्रॉपर्टी का मालिक नाबालिक हैं और उसका प्रॉपर्टी पर कोई दूसरा व्यक्ति कब्जा करता है तो यह भी प्रतिकूल कब्जा नहीं कहलाएगा। साथ ही यदी प्रॉपर्टी का मालिक दिमागी रूप से ठीक नहीं है तो ऐसे परिस्थिति में भी यदी कोई व्यक्ति उसका प्रॉपर्टी पर कब्जा करता है तो यह भी प्रतिकूल कब्जा नहीं कहलाएगा। यदी कोई प्रॉपर्टी का मालिक विदेश में रहता है तो ऐसे परिस्थिति में उसका जमीन पर प्रतिकूल कब्जा नहीं किया जा सकता है। यदी कोई व्यक्ति सेना में कार्यरत हैं तो उसका भी प्रॉपर्टी पर प्रतिकूल कब्जा करना संभव नहीं है। यदी कोई कब्जाधारी किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा करता है और उस प्रॉपर्टी के मालिक को यह जानकारी हो जाता है उसका प्रॉपर्टी पर किसी व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है और उस प्रॉपर्टी को खाली कराने के लिए प्रॉपर्टी का मालिक कोई कदम नहीं उठाता है और 12 साल का समय सीमा खत्म हो जाता है तो ऐसे परिस्थिति में कब्जाधारी प्रॉपर्टी का मालिक बन जाएगा और यह कब्जा प्रतिकूल कब्जा कहलाएगा। Poona Ram Vs Moti Ram का वाद में माननीय सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट का लिंक निचे दिया गया है आप उसे Download करके पढ़ सकते हैं। साथ ही Ravindra Kaur vs Manjit Kaur का वाद में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो जजमेंट दिया है उसका भी लिंक निचे दिया गया है आप Download करके पढ़ सकते हैं। ( यह भी पढ़े:- एक प्रॉपर्टी दो बार बेचा गया है कानूनी उपाय)
0 Comments