सहारा इंडिया के विभिन्न प्लान का मेच्योर हो जाने के बाद भी सहारा इंडिया का पैसा नहीं मिलने पर बहुत निवेशक परेसान हैं। कुछ निवेशक दिन रात यूट्यूब पर सहारा से संबंधित न्यूज़ ढूँढने में लगा रहता हैं कि उसे कुछ ऐसा न्यूज़ मिल जाए जो उसे सुकून पहुंचा सके। वही दूसरे तरफ कुछ निवेशक सहारा इंडिया कार्यालय का चक्कर लगाकर थक जाने के बाद कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उसे पैसा मिला। इस वीडियो में हम कुछ ऐसे केस स्टडी के बारे में चर्चा करेंगे जिसको पैसा मिला हैं। यदी आप भी सहारा इंडिया के इस रवैये से तंग आ गये हैं तो ये जानकारी आपके लिये बहुत उपयोगी साबित हो सकता हैं।
कंज्यूमर कोर्ट का फैसला
झारखंड के लहेरी थाना क्षेत्र के मुरारपुर निवासी शिला देवी ने एस 14 फिक्स डिपॉज़िट का बांड विपक्षी से लिया था। जिसका परिपक्व राशि 31 जुलाई 2015 को 112,000 रुपये विपक्षी को भुगतान करना था। परन्तु विपक्षी ने भुगतान के बदले टालमटोट का सहारा लिया। इसके बाद जमाकर्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज किया। शिकायत संख्या 63-14 । इसके बाद उपभोक्ता फोरम ने निवेशक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिहारशरीफ स्थित सहारा इंडिया को जमाकर्ता के फिक्स बांड की राशि का भुगतान 45 दिन के अंदर करने का आदेश दिया।
निवेशक के पक्ष में फैसला
डुमरांव थाना क्षेत्र के एकौनी गांव निवासी राजीव रंजन उपाध्याय डुमरांव थाना क्षेत्र के सहारा इंडिया में वर्ष 2012 में राशि जमा की थी। नियमानुसार निर्धारित समय में राशि दोगूना हो गई। जब सहारा इंडिया से पैसा लेने गए। तब वहां के कर्मियों ने यह कहा कि आप अपनी राशि फिर से जमा करा दीजिये। निवेशक ने अपने स्तर से लाख प्रयास किया लेकिन सहारा के कर्मियों ने अपने बातो पर अडिग रहा। तब निवेशक ने वर्ष 2017 में उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। इसमें सहारा इंडिया बक्सर व डुमरांव के मैनेजर व लखनऊ के मैनेजिंग डायरेक्टर को आरोपी बनाया था। डा. विष्णु दत्त द्विवेदी ने जानकारी दिया था कि ये तीनो को लीगल नोटिस भेजा गया था। बक्सर व डुमरांव के मैनेजर ने अपना पक्ष आकर रखा था, लेकिन मैनेजिंग डायरेक्टर ने अपना पक्ष आकर नही रखा। इसके बाद फोरम ने सुनवाई सुरु कि जिसके बाद कई त्रुटियाँ सामने आया। तब फोरम के अध्यक्ष राधेश्याम सिंह, सदस्य सीमा सिंह व नंदजी सिंह की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि वर्ष 20219 तक सूद समेत राशि सहारा इंडिया लौटाए।
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