मानव अधिकार आयोग मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु भारत की चिंता की एक अभिव्यक्ति है। इसकी स्थापना अक्टूबर 1993 में की गई थी। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2 के अनुसार ”मानव अधिकारों” का अर्थ है संविधान के अंतर्गत गांरटित अथवा अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं में सम्मिलित तथा भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय जीवन, स्वतंत्रता, समानता तथा व्यक्ति की गरिमा से संबंधित अधिकार। ”अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं” का अर्थ है 16 दिसम्बर 1966 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंगीकृत सिविल एवं राजनैतिक अधिकारों संबंधी अंतराष्ट्रीय प्रसंविदा तथा आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों संबंधी अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदा।
मानवाधिकार आयोग का कार्य क्षेत्र
आयोग निम्नलिखित सभी कार्य अथवा इनमे से कोई भी कार्य करेगा :-
a)स्वयं पहल करके अथवा किसी पीड़ित या उनकी ओर से अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई याचिका पर, इन शिकायतों की जांच करेगा –
i)मानव अधिकारों का हनन अथवा दुरूत्साहित करना अथवा
ii)लोक सेवक द्वारा इस प्रकार के हनन की रोकथाम में लापरवाही
b) न्यायालय के समक्ष लंबित मानव अधिकारों के हनन के किसी आरोप से संबंधित किसी कार्यवाही में उस न्यायालय की मंजूरी के साथ हस्तक्षेप करना
c) राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन किसी जेल अथवा किसी अन्य संस्थान, जहां लोगों को उपचार, सुधार अथवा संरक्षण के उद्देश्य से कैद अथवा बंद रखा जाता है, का वहां के संवासियों के जीवनयापन की दशाओं का अध्ययन करने तथा उनके संबंध में संस्तुतियाँ करने के लिए राज्य सरकार को सूचित करते हुए, दौरा करना।
d) मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए इसके द्वारा अथवा संविधान के अंतर्गत अथवा कुछ समय के लिए लागू किसी कानून के सुरक्षोपायों की समीक्षा करना
e) उन तथ्यों की समीक्षा करना, जिसमें आतंकवादी गतिविधियां शामिल हैं जो मानव अधिकारों के उपयोग को रोकती हैं तथा उचित उपचारी उपायों की संस्तुति करना
f) मानव अधिकारों से संबंधित संधियां एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों का अध्ययन करना तथा उनके प्रभावी कार्यान्वयन हेतु संस्तुतियां करना
g) मानव अधिकारों के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करना तथा उनको बढ़ावा देना
h) समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानव अधिकार शिक्षा का प्रसार करना तथा प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनार तथा अन्य उपलब्ध साधनों से इन अधिकारों के संरक्षण हेतु उपलब्ध सुरक्षोपायों की जागरूकता को बढ़ाना
i) गैर सरकारी संगठनों एवं मानव अधिकार के क्षेत्र में कार्यरत संस्थानों के प्रयास को बढ़ावा देना
ii)मानव अधिकारों के संवर्ध्दन हेतु आवश्यक समझे जाने वाले इसी प्रकार के अन्य कार्य।
मानवाधिकार आयोग का जाँच
मानव अधिकारों के हनन की शिकायतों पर जांच करने के लिए पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में आयोग का अपना जांच स्टाफ है। अधिनियम के अंतर्गत किसी अधिकारी अथवा केन्द्र अथवा किसी राज्य सरकार के अन्वेषण अभिकरण की सेवाओं का उपयोग करने के लिए यह आयोग मुक्त है। आयोग जांच कार्य के लिए अनेक मामलों में गैर-सरकारी संगठनों को अपने साथ जोड़ा है। जनहित याचिका क्या है
शिकायत का निवारण
मानव अधिकारों के हनन की शिकायतों पर जांच करते समय आयोग निर्धारित समय के भीतर केन्द्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार अथवा किसी अन्य प्राधिकारी अथवा अधीनस्थ संगठन से सूचना अथवा रिपोर्ट मांग सकता है; बशर्ते कि आयोग द्वारा निर्धारित समय के भीतर यदि वह सूचना अथवा रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती, तो यह शिकायत पर स्वयं ही जांच शुरू कर सकता है; दूसरी ओर यदि सूचना अथवा रिपोर्ट प्राप्त होने पर आयोग संतुष्ट हो कि आगे जांच की आवश्यकता नहीं है अथवा संबद्ध सरकार अथवा प्राधिकारी द्वारा अपेक्षित कार्रवाई प्रारंभ की गई अथवा की गई, तो आयोग शिकायत पर कार्यवाही नहीं कर सकता तथा शिकायतकर्ता को तदनुसार सूचित कर सकता है।
जाॅच के बाद कार्रवाई
जांच पूरी होने पर आयोग निम्नलिखित में से कोई भी कदम उठा सकता है :-
1) जहां जांच से मानव अधिकार के हनन होने अथवा लोक सेवक द्वारा मानव अधिकारों के हनन को रोकने में लापरवाही का पता चले, वहाँ आयोग संबद्ध सरकार अथवा प्राधिकरण को अभियोजन हेतु कार्रवाई प्रारंभ करने अथवा संबद्ध व्यक्तियों के विरुद्ध, आयोग जैसा भी ठीक समझे, अन्य कार्रवाई करने की संस्तुति कर सकता है
2) उच्चतम न्यायलय अथवा संबंधित उच्च न्यायालय से इस प्रकार के निदेशों, आदेशों अथवा रिट जैसा भी वह न्यायालय आवश्यक समझे, के लिए संपर्क कर सकता है
3) पीड़ित अथवा उसके परिवार के सदस्यों के लिए, जैसा भी आयोग आवश्यक समझे, तत्काल अंतरिम राहत की स्वीकृति हेतु, संबद्ध सरकार अथवा प्राधिकारी के लिए संस्तुतियाँ कर सकता है।
कौन शिकायत दर्ज होता हैं
अपने स्थापना काल से ही आयोग ने विभिन्न प्रकार की शिकायतों पर विचार किया है। हाल ही में प्राप्त मुख्य शिकायतें हैं :-
पुलिस प्रशासन के संबंध में
कार्रवाई करने में असफलता
गैर कानूनी कैद
झूठे मामले में फंसाना
हिरासतीय हिंसा
अवैध गिरफ्तारी
अन्य पुलिस ज्यादतियाँ
हिरासतीय मौतें
मुठभेड़ में मौतें
कैदियों का उत्पीड़न : जेल दशाएं
अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार
बंधुआ मजदूरी, बाल मजदूरी
बाल विवाह
सांप्रदायिक हिंसा
दहेज के लिए हत्या अथवा इसका प्रयास; दहेज की मांग
अपहरण, बलात्कार एवं हत्या
महिलाओं का यौन उत्पीड़न तथा अपमान, महिलाओं का शोषण
अनेकों अन्य शिकायतें, जिन्हें वर्गीकृत नहीं किया जा सकता, पर विचार किया गया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का फ़ोन नम्बर
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
मानव अधिकार भवन, ब्लॉक-सी,
जी.पी.ओ. कम्प्लेक्स, आई.एन.ए., नई दिल्ली – 110023
सुविधा केन्द्र (मदद) : (011) 24651330, 24663333
मोबाइल नं. – 9810298900 (शिकायतों के लिए 24 घंटे)
फैक्स : (011) 24651332
ई मेल: cr[dot]nhrc[at]nic[dot]in
वेबसाइट : www.nhrc.nic.in
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